बुधवार, 30 जनवरी 2013

अपनी न सही मेरी किस्‍मत पर यकीन कर।
ये दिवाना ले आएगा चांद को जमीन पर।

ख्‍वाबों की जमीन फकत उजाड होती है
महल बनता है तिनका-तिनका बीन कर।

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