गुरुवार, 21 फ़रवरी 2013

इस दुनिया से जुदा प्रीत अपनी

इस दुनिया से जुदा प्रीत अपनी

इस तमाशाई दुनिया से जुदा प्रीत अपनी।
वो रोए तो मोहर्रम, हंसे तो ईद अपनी।
उसकी निगाहों से देखा करुं दुनिया के हंसी नजारे
वो न देखे तो नाबीना, देखे तो दीद अपनी।
यूं तो जीता किया मैं दुनिया की हर बाजी
अब वो हारे तो हार, जीते जो जीत अपनी।
इतना बेचारा बेसहारा पहले तो न था
जिंदादिली भी हुआ करती थी मुरीद अपनी।

सोमवार, 18 फ़रवरी 2013

कोई शिकवा गिला नहीं

उससे मुझे कोई शिकवा-गिला नहीं।
यूं  भी किस्‍मत में कोई लिखा नहीं।
उससे मुझे कोई...
दीवानगी में मिली बस रुसवाई
यह पहला या कोई नया सिला नहीं।
उससे मुझे कोई...
उन दीवारों से क्‍यूं सिर टकराएं
सालों से जिनका कोई पत्‍थर हिला नहीं।
उससे मुझे कोई ...

शुक्रवार, 8 फ़रवरी 2013

आज का चांद बडा प्‍यारा लगा 

आज का चांद बडा प्‍यारा लगा। 
जैसे हूबहू अक्‍स तेरा उतारा लगा। 
आंखों आंखों में कट गई सारी रात यूं ही,
उससे नजरें हटाना न गवारा लगा। 
आज का चांद बडा प्‍यारा ....
कटते नहीं अब दिन उसके बगैर,
अपनों में भी मैं बडा बेसहारा लगा।
आज का चांद बडा प्‍यारा ....
दिल की तन्‍हाईयों का आलम न पूछ ए मुकुंद
सन्‍नाटों में भी जैसे कोई पुकारा लगा।

आज का चांद बडा प्‍यारा लगा। 
जैसे हूबहू अक्‍स तेरा उतारा लगा।

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2013


तो मैं घर जाउंगा

तेरे लिए इस जमाने से मैं लड जाउंगा।
साथ हो तो साथ चलो वरना मै डर जाउंगा।
बरसती रहीं शबे नम निगाहें सारी रात
उम्‍मीदों की बारिश थमे तो मैं घर जाउंगा।
 तुम मुझे यूं ही  वजह-बेवजह कुरेदा करो,
गर ये जख्‍म भर गया तो मैं मर जाउंगा।