इस दुनिया से जुदा प्रीत अपनी
इस तमाशाई दुनिया से जुदा प्रीत अपनी।वो रोए तो मोहर्रम, हंसे तो ईद अपनी।
उसकी निगाहों से देखा करुं दुनिया के हंसी नजारे
वो न देखे तो नाबीना, देखे तो दीद अपनी।
यूं तो जीता किया मैं दुनिया की हर बाजी
अब वो हारे तो हार, जीते जो जीत अपनी।
इतना बेचारा बेसहारा पहले तो न था
जिंदादिली भी हुआ करती थी मुरीद अपनी।
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