बुधवार, 8 जून 2011

अन्ना और बाबागिरी के मायने

मई और जून के महीने में पारे की तपिश काफी बढ़ी। बढ़ना भी लाजिमी है, यह सीजन ही ऐसा है। गर्मी में पारा न बढे क्या यह मुमकिन है? खैर, यह तो रही मौसमी गर्मी की बात, लेकिन इस मौसमी गर्मी के साथ अपने देश की पोलिटिक्स में भी एक गर्माहट पैदा हुई। यह गर्माहट आज से पहले इमरजेंसी के दौरान ही महसूस की गयी थी। उस समय भी ग्लोबल वार्मिंग की तरह से सेंट्रल गवर्नमेंट की नीतियों ने पैदा की थी और इस बार भी वही वजह है