बुधवार, 30 जनवरी 2013

बचा भी क्‍या है जो तुमसे प्‍यार किया जाए


ऐसा कुछ भी नहीं कि जो तुमसे रार किया जाए।
अब बचा भी क्‍या है जो तुमसे प्‍यार किया जाए।
रंज नहीं तो ि‍फर तेवर तंज क्‍यों है उनके
चलो उनकी इन गलतियों को भी नकार दिया जाए।
अपनों के ही हाथों में नजर आए हर वक्‍त नस्‍तर
पूछते रहे कि छोड दिया जाए या मार दिया जाए।
वक्‍त्‍ा किसी के कहने पर रूकता नहीं दोस्‍त
ि‍फर क्‍यों इसे किसी के लिए बेकार किया जाए।
मन तो रमता जोगी है कहीं भी बसर कर लेगा
अच्‍छा नही है कि इसे यूं जार जार किया जाए।
वक्‍त के दरिया में पतवार की उम्‍मीद न कर
अच्‍छा है इसे अपने हाथों से पार किया जाए।

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